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समझ रहे हो न तुम

मेरे हर अल्फ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लिए है......
समझ रहे हो न तुम
देखो गुस्सा न होना
मुस्कुरा देना
मैं समझ जाऊंगा तुम तक पहुंच गई है मेरी बात

हालात जो भी हो
तुम अपने जगह सही , मैं अपने जगह
देखो गुस्सा न होना
मुस्कुरा देना
मैं समझ जाऊंगा तुम तक पहुंच गई मेरी बात

तुम जवाब में कुछ भी लिख दो
मगर जवाब न देना ये
शायद अच्छा न लगे
या मना कर देना कि संदेश न दो मुझे
देखो गुस्सा न होना
मुस्कुरा देना
मैं समझ जाऊंगा तुम तक पहुंच गई मेरी बात

मेरे हर अल्फ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लिए है......
समझ रहे हो न तुम
देखो गुस्सा न होना
मुस्कुरा देना
मैं समझ जाऊंगा तुम तक पहुंच गई है मेरी बात

~~~~मिन्टू

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झुमके वाली लड़की

उसके बाल बिखरे थे, माथे पर बिंदी कानों पे झुमके थे, गाल मख़मली सी, होंठो पर हल्की मुस्कान थी कत्थई साड़ी में जब वो राह चल रही थी गुलाबो के पत्ते बिखेरते हुए, लटक झटक कर वो बहुत खूबसूरत लग रही थी पाँव में पायल, चाल में हल्की शरारत लेकर जब वो ठुमक-ठुमक चल रही थी, मेरी आँखें थोड़ी अड़ गयी थी उसपर मैं हो चला दीवाना था उसका शायद वो मेरे शहर जैसी ही थी सुंदर, स्वच्छ, निर्मल, पवित्र वो मेरी झुमके वाली थी.. जब भी बिखेरती थी जलवा अपने अल्फाज़ो से न जाने कितने आह-वाह की तान छेड़ जाते थे, कई चुरा लेते थे उसके अल्फ़ाज़ तो कई उसके राह कदम पर चल पड़ते थे जो भी थी वो जैसी भी थी वो मेरी झुमके वाली थी वो मेरी झुमके वाली थी ।

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लड़कियां लिखती है प्रेम मन की लड़के लिखते है प्रेम तन की नही लिखते वो जज़्बात मन की लडकिया लिखती है कथा अंतर्मन की नही लिख पाते लड़के चलते रहते है दोनों के मन मे शीत युद्ध पिसता जाता है  कोरा कागज और कलम इन दोनों के बीच बच जाता है तो सिर्फ अंर्तमन का  एहसास ज़िसे पढ़कर लोग समझते है कितना गहरा  है ये प्रेम अगर सच मे कहूँ तो उन्हें ये नही पता लगता कि कितने गहरे डूबकर लिखी होती है  कल्पना होती है सच होती है ये  कोरे कागज पर  स्याही के निशान ।