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मई 7, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऐसा क्यों लगता है ?

जीवन का सम्पूर्ण रस, ज्ञान इसमे ही निहित है बस एक नज़र जो देख ले तो ऐसे पागल हो जाते है जैसे कोई ख़ोया चीज़ मिल गया हो.. लेकिन ये गलत है, बेमानी है मगर क्या इसके बिना कोई रह पाया है प्रेम के बिना, स्त्री के बिना ? नही न... तभी तो ये सब मोह माया है, बंधन है , जाल है, यहाँ से चल चलो कही दूर जहाँ पहाड़ हो, झरने हो, तलाब हो, पेड़-पौधे हो, जहाँ हम अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके कंकड़ मार कर उस तालाब में, बात कर सके पेड़ो से, झरनों से तुम्हे क्या लगता है ?  ©मिन्टू/@tumharashahar