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मई 6, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यारी

ये जो रंगत है, ये जो संगत है ये तो तुम्हारे(मुस्कान) से है, तुम(किस्मत) कितना ज़ोर लगा लो, ये जो मुस्कान है, तुम सिर्फ कुछ पल के लिए ही रोक सकते हो मगर जानते हो समय और वक़्त सबका है, मुस्कान तो रहेगा जबतक रहेगी ये रंगत ये संगत ये जो यारी है बरसो पुरानी है तुम्हरे बिगड़ने से कुछ नही होगा कुछ देर अलग कर सकते हो मगर हम तो आएंगे नए रूप, नए रंग में, उस समय वक़्त भी मेरा होगा और वार भी, मुस्कान से रहेगी ये रंगत ये संगत ~~~~मिन्टू

सोच- गली की

मैं निकला था गलियों में पहले जैसा दौर लाने को, मगर बदनामियों के जंजीर ने मेरे पैर जकड़ लिए, सोचा समझा दु उन्हें , हालाते-ए-मंजर शहर की मगर सोचें-ए-परिंदे उनके उड़ते चले गए, ऐसा नही की वो नासमझ है मगर वो नासमझी के शिकार होते चले गए । ~~मिन्टू