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अप्रैल 25, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शहर में गांव

ये गांव की दौलत आज शहरों में घुमक्कड़ी कर रही है लोग कहते है हमारा गांव मिट रहा है गांव के बचपन की दौलत समेटे हुए,  शहरों में उसको लुटाना कितना अच्छा होता है ना , जो मन मे दबाए इच्छा को आज निकलते देख रहा हूं जो शर्म से अंदर दफ़्न ख्वाइश है, उसे रोड पर उतरते देख रहा हूँ जो कभी गांव में खेला करता था वो ख़्वाब आज शहर में देख रहा हूँ तो ये तो अच्छा ही है ना, देखो न , ये मासूमियत को क्या पता कि ये बैंगलोर की सड़कों पर गांव के रंग बिखेर रहा है, कितनों की यादें ताज़ा कर रहा है सबसे अलग, मग्न होकर निकल रहा है ये तो अच्छा है ना गांव की दौलत शहरों में घुम्मकड़ी कर रही है। ~~~मिन्टू Pic- sarita sail