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दिसंबर 17, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लड़कियां जब होती है प्यार में

लड़कियां , मोह्बत में बैठी रहती है नदी किनारे, करती रहती है गुफ्तगू खुद से जब भी चलता रहता उनके मन मे उथल-पुथल कुछ दांतो तले दबा लेती है उंगलियां, कुछ कहती है नदी की धारा से तो कुछ कहती है वहां के वातावरण से फिर कुछ पल संभाल लेती है वहां की मन मे गढ़ती रहती है असीमित प्रेम अपने प्रिये के लिए मंद-मंद मुस्कुराती है लड़कियां ।

गुलाब नही उसका मन है

 जब कोई लड़कीं किसी को देती है गुलाब तो वो सिर्फ गुलाब नही देती है वो देती है  अपना सबसे अजीज चीज वो देती है अपना मन, वो देती है अपना सुख, दुख अपना जीवन वो कर देती है समर्पण खुद को ताकि उसे वो सजा सके, सँवार सके रख सके उसे सहेज कर वो करती है हर रात उसका इंतजार  ताकि वो कर सके कुछ गुफ्तगू  वो बता सके कि मैं क्या हूँ वो कर देती है अपना सब कुछ निछावार अपना एक ख़्वाब के लिए वो हो जाती है उस समय के लिए  या यूं कहुँ वो हो जाती है पूरा का पूरा अपने महबूब का वो निकाल कर रख देती है सबकुछ उसके सामने ताकि वो लिख सके एक नया इतिहास ज़िन्दगी का ।

लड़कियां लिखती है प्रेम

लड़कियां लिखती है प्रेम मन की लड़के लिखते है प्रेम तन की नही लिखते वो जज़्बात मन की लडकिया लिखती है कथा अंतर्मन की नही लिख पाते लड़के चलते रहते है दोनों के मन मे शीत युद्ध पिसता जाता है  कोरा कागज और कलम इन दोनों के बीच बच जाता है तो सिर्फ अंर्तमन का  एहसास ज़िसे पढ़कर लोग समझते है कितना गहरा  है ये प्रेम अगर सच मे कहूँ तो उन्हें ये नही पता लगता कि कितने गहरे डूबकर लिखी होती है  कल्पना होती है सच होती है ये  कोरे कागज पर  स्याही के निशान ।

बनाना है तुम्हे

मैं तुम्हे चूमना चाहता हूँ सर् से पांव तक मैं तुम्हे लिखना चाहता हूं कविता से कहानी तक मैं तुम्हे बनाना चाहता हूं शहर से गाँव तक मैं तुम्हे रंगना चाहता हु प्रेम से इंद्रधनुष तक मैं तुम्हे सींचना चाहता हूं दुख से सुख तक मैं तुम्हारा होना चाहता हूं आज से लेकर अनंत  तक । ©मिन्टू