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फिर तेरी याद

फिर तेरी याद   किचन में, मैं और तुम्हारी याद सफर कर रही थी सफर करते करते पहुंच गए थे किसी सड़क किनारे जहां किसी ढाबा पर  गाने की धुन सुनाई दी "देखा है पहली बार साजन मूवी की" फिर क्या था हम दोनो एक दूसरे को देखते हुए हंस पड़े और निकल पड़े अपने अपने रास्ते रास्तों का क्या है वो कभी खत्म कहां होती है एक बार शुरू हो जाने के बाद चलती रहती है  बस एक ही धुन और याद थे साथ बाकी सब फिजूल की बातें बातें वो भी थी जो बेवजह रही जितने गड्ढे में छुपाए थे सब एक एक करके बाहर निकलती रही और मेरे कदम पड़ते रहे उन गड्ढे में एक बार फिर मै फंस गए था  तुम्हारे बनाए जाल में... @ram_chourasia_  Pic credit @anuradha_poddar

गर्भ में

 Pic-@pinterest  मैं पृथ्वी हूँ मेरे कोर में समाया है गुस्से के रूप में ज्वालामुखी मेरे कोख में पल रहा है हरयाली जो आने वाले समय में देगा "कोहिनूर" सा फल एक स्त्री के रूप में जिसको हर पड़ाव पर  लांघा जाएगा किसी पुरुष, महिला या किसी सरकारी तंत्र के योजना के तहत  तब मैं लड़ते रहूंगी छुईमुई की तरह  ढोंगी समाज से, अपने परिजन से अपने पति से.. पति वो जिसको हमने माना है  "परमेश्वर " लेकिन क्या परमेश्वर से लड़कर मैं  पाप का भागीदार बन सकती हूँ ? शायद "हां" परंतु ध्यान रहें समय और धैर्य के आगे  अपने बचाव के लिए किया गया कार्य पाप नही होता वो अलगाव और बचाओ का एक जरिया है जिसपर पैर रख मैं स्वर्गलोक तक पहुंच पाऊँगी । @tumharashahar0

साल की आखिरी चाय

साल की आखिरी चाय हम उस वक्त मिले जब मुझे प्यार की ना तो जरूरत थी  नहीं प्यार से नफरत  लेकिन हमारी स्टोरी कुछ वैसी है  कैजुअल फ्रेंड्स थे  फिर क्लोज फ्रेंड्स हो गए  बेस्ट फ्रेंड्स हो गए   फिर लव स्टार्ट हो गया  यह किस्सा साल की आखरी शाम का है  हमारी दोस्ती को काफ़ी वक्त बीत चुका था  साल की आखिरी शाम जो सर्द थी  पर गुलाबी भी  हम कोचिंग के बाहर खड़े थे,  क्लास शुरू होने में पंद्रह मिनट बचे थे  मेरे हाथ हमेशा की तरह ठंडे और बिल्कुल सुन्न थे । "चाय पियेगी... चलते चलते बस यूं ही पूछा उसने हां...  मैंने फट से जवाब दिया  जैसे कि मैं बस उसके पूछने के इंतजार में थी  हम एक दूसरे के सामने बैठे हैं अदरक के साथ चाय की महक हवा में घुलने लगी  "अरे जल्दी कर दो भैया" ... उसने मेरे हाथ अपनी गर्म हथेलियों में थामते हुए कहा । मुझे कोई जल्दी नहीं थी । बैकग्राउंड में बज रही गाने ने  "सोनिए हीरिए तेरी याद औंदिए, सीने विच तड़पता है दिल जान जांदिए" उस शाम को और भी रूमानी बना दिया था । चाय आई... "जल्दी से पीले क्लास स्टार्ट होने वाली है "  उसने चाय की पहली चुस्की लेते हुए कहा