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दिसंबर 27, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इंतजार

वो जानती है कि मैं पढ़ लेता हूँ उसका मन मगर फिर भी वो मेरी बात रखने के लिए अपनी बात को रख देती है उसी मेज़ पर जहाँ वो रखा करती है किताब और करती रहती है मेरा इंतजार उस ठंड वाली रात में मैं उसको उसकी बात समझकर सो जाता हूँ उसी रात जिस रात वो करना चाहती है बेइंतेहा इश्क़, कहना चाहती है बहुत कुछ मेरे बाहों में आकर, वो बताना चाहती है कि मुझे तुमसे बहुत प्यार है मगर कह नही पाती बस हमेशा की तरह "इंतजार" से जता देती है वो अपना निश्छल प्रेम अपना निस्वार्थ प्रेम ।