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मई 10, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कड़ी मेहनत

नंगे पांव , पक्की सड़क, जेठ की कड़क धूप ज़िन्दगी भी कुछ इस तरह से  हो गयी है , तपती , झुलसती हुई । मगर इतना तो पता है ''जो तपेगा वो बनेगा, वही निखरेगा भी '' गर्म लोहा को जैसा रूप दे दो वो उसमें ढल जायेगा / ढल जाता भी है उसी तरह ज़िन्दगी गर्म हो रही है और  वो भी ढलेगी अपने नक्शा पर, अपने आकार में, अपने रंग में, अपने रूप में, निखरेगी संवरेगी एक दिन फिर से जानी जायगी उसी नाम से एक अलग पहचान के साथ । ~~~मिन्टू