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Deepu-memsaab

पहला भाग ----------------------------- "मैमसाब नीचे उतरिए, नीचे चलिए,पाल टूट जाएगी खेत की तो पानी कैसे रुकेगा". 'ओफ्फो तुम्हें हर चीज़ से दिक्कत है, और भला ये मैमसाब क्यों बुलाते हो मुझे? मेरा इतना सुंदर नाम है। केवल इसलिए कि मैं शहर में रहती हूँ?' . "आप ही तो सिखाती हैं कि 'थैंक यु' के बाद 'योर वेलकम' और 'माय पेलज़र' बोलते हैं, तो हुई ना आप अध्यापिका, तो अध्यापिका को हम मैमसाब बुलाते हैं" . 'तुम और तुम्हारे तर्क, खिल्ली उड़ाने को करते हो बस, और 'प्लेज़र' होता है, पेलज़र नहीं......अरे बाप रे! दीपू, इतने सारे बेर वह भी इतने लाल, मुझे बेर बहुत पसंद है मुझे बेर खाने हैं' . . "अरे मैमसाब आराम से, काँटे हैं चुभ जाएँगे, पीछे हटिए, मैं तोड़ता हूँ" . 'अच्छा जी और तुम्हारे तो खैर से रिश्तेदार लगते हैं ये काँटे जो तुम्हें नहीं चुभेंगें, है न?' . . "हाँ बस यही समझ लीजिए, इन्होंने ही पाला है। अपना दुपट्टा फैलाओ, मैं तोड़-तोड़ कर डालता हूँ" . 'अंधे हो गए हो? मैंने जीन्स पहना है&#

भोजपुरी- एक मिठास

(कुछ भी लिखने से पहले बता दूँ आपको  मैं जो भी लिखने जा रहा हूँ वो विकिपीडिया की सहायता से और अपने आस-पास के माहौल को देखते, सुनते हुए लिख रहा हूँ । इसमे बहुत सारे चीज़े ऐसे भी आएंगे जो कही न कही किसी न किसी रूप में कोई न कोई लिखा ही होगा फिर भी मेरी एक छोटी से कोशिश है।) भोजपुरी- एक मिठास ________________ एक मीठी आस में एक मिट्टी की प्यास में लिख रहा हूँ माँ को  जो असम्भव है। मातृभाषा सबके के लिए सबसे पहले अपनी क्षेत्रीय भाषा ही आती है उसके बाद हिंदी है जहाँ तक मैंने देखा है।  भोजपुरी नामकरण- बिहार में एक जगह है "भोजपुर" उसी के नाम पर इसका नामकण हुआ है जिसको राजा भोज ने बसाया था । (वैसे ये सब जानकारी आपको विकिपीडिया पर उपलब्ध है) विशेष- भोजपुरी एक ऐसी भाषा है जिसमें एक अलग मिठास है, अलग रस है  या यूं कहूँ इसके बोलने सुनने से मन तृप्त हो जाता है । आप अगर बच्चे के मुख से सुनेंगे इसे तो उसका रस चौगुना बढ़ जाता है और आप ललायित हो जाएगें इसे बोलने ,समझने, सीखने के लिए । इसमे एक अलग किस्म का जादू है जो नशों में रक्त का संचार बढ़ा देता है , एक अलग

मुझे नही पता मैं ....

मुझे नही पता मैं क्या हूँ लेकिन यकीन मानो मैं पूरा का पूरा गांव हूँ, मैं कितने भी डिग्री ले लूं मगर मैं रहूँगा देशी ही, मिट्टी का ही शायद तुम मुझे अनपढ़,गंवार समझ लो भला-बुरा कह लो मगर यकीन मानो मैं गाँव ही रहूँगा और रहना चाहूंगा मुझे नही चाहिए ये टाइल्स वाली, दिखावटी दुनिया मुझे तो मेरी मिट्टी पसंद है, बारिश की बूंदों के बाद का सौंधी खुश्बू, शुद्ध हवा, पवित्र पावन जल, संस्कृति,प्यार,सम्मान यकीन मानो तुम सब भी एक दिन इसी गांव की पगडंडियों को चुनोगे अपने आने वाले पीढ़ी को बताओगे इस "मिट्टी की मातृत्व" को मेरा यकीन मानो तुम सब एक दिन शहर से हो जाओगे गाँव । ©मिन्टू/@tumharashahar

कुछ न लिखो

कुछ न लिखो, चंद ख़्वाब लिखो, चंद छंद लिखो, चंद अल्फ़ाज़ लिखो, कुछ हाल लिखो, कुछ चाल लिखो, कुछ पुरानी कुछ नई सवाल लिखो,  बस लिखो गुलाल ज़िन्दगी के, कुछ न लिखो, चंद प्यार, चंद तकरार लिखो, चंद सपने , कुछ अपने लिखो, ज़िन्दगी से जुड़े सारे वो पल लिखो, लिखो माँ का आँचल, लिखो पिता का सहारा, लिखो बहना का प्यार, कुछ मुझे लिखो, कुछ घर-परिवार की लिखो कुछ न लिखो चंद ख़्वाब लिखो, चंद छंद लिखो लिखो तुम कुछ घर-परिवार लिखो ।