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मई 25, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरी राह

तुम चलती रही उस राह और मैं कब तेरी राह का राहगीर हो गया पता ही नही चला, तेरी बिखरती मुस्कान को समेटते रहा मगर कब रात हो गयी पता ही नही चला, चांदनी रात में तुम और खूबसूरत  लगने लगी तुम्हें देखते रहे रात के परहेदार और मैं कब तेरा काजल होता गया पता ही नही चला, तुम चलती रही उस राह और मैं कब तेरी राह का राहगीर हो गया पता ही नही चला । ~~~मिन्टू