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दिसंबर 7, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खत

गर वो खत पढ़ लिया होता लिख दिया होता तुम्हे जवाब देर हो चुकी अब तो बहुत तुम अब, लिखी जाती हो दूसरो के खतों में दूसरों के स्याही से, किसी दूसरे के जज़्बात के साथ और मैं तलाश रहा हूँ तुम्हारी ही जैसी कोई ताकि ज़िंदा रहूँ और लिखता रहूँ ताउम्र कोई कविता, कोई गज़ल या कोई कहानी या फिर लिखूं अंदर दबे जज़्बातों को और बन जाऊं पुरातत्व विभाग। ~~~मिन्टू