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मई 1, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राहें - ज़िन्दगी की

कभी टूटते तो कभी जूझते हालातो से, कभी झड़ते तो कभी बिखरते उम्मीदों से, सीखा है बहुत कुछ इन सब राहों से, क्या कभी तुम भी आओगी इन राहों पर अपने कोमल पाँव लेकर ? तुम्हारे लिए भी तो गया हुँ इन राहों से आँसुओ के साथ, टूटते जज़्बातों के साथ बदनामियों  के साथ... क्या कभी तुम भी आओगी इन राहों पर अपने कोमल पाँव लेकर ? नाउम्मीदी से , नफ़रतों से , सुनापन से गहरा नाता रहा है, जो इन राहों को सजाए रखता है, क्या कभी तुम भी आओगी इन राहों पर अपने कोमल पाँव लेकर ? ~~~मिन्टू