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फ़रवरी 1, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या खुद को घिस कर कोई पापी हो सकता है ?

 Pic-@pinterest  क्या कोई खुद को घिस कर पापी हो सकता है ? तुमने नही देखा वो खेल जो तकदीर खेल रही तुम्हें दिखा सिर्फ प्यार भविष्य, खुद को समेट कर किसी पोटली में तुम बंध तो जाते थे लेकिन खुले कभी नही  गर कभी खुल भी सके तो खुलते-खुलते चमड़िया झूल गयी, हड्डियां दिखने लगी नही दिखा तो किसी को तुम्हारा संघर्ष लेकिन खुद को घिस कर तुमने  दुनिया को दिया नीलम, कोहिनूर जैसे अनमोल रत्न परन्तु उस पर भी सेंध लगायें गए जाति के नाम पर, तो कभी रंगों के नाम पर अंत मे तुम्हारे हाथ फिर से लगा वही उदासी, अकेलापन, घृणा, दोष  और राख  जो कभी प्रवाहित हो न  सकी गंगा में एक बार फिर तुम वंचित रह गए पवित्र होने से, वंचित रह गए तुम्हारे पाप धुलने से  लेकिन क्या खुद को घिस कर कोई पापी हो सकता है ? @tumharashahar0