यूँ ढूंढने से क्या मिलेगा साहिबा जब पूरा शहर ही ईट का हो, ज़रा घूम आओ वो गाँव जहाँ पूरा घर मिट्टी का हो, तुम पाओगे वो संस्कार, वो प्यार तुम ढल जाओगे उस आकार, फिर बनेगी तुम्हारी मिट्टी सी सौन्धी खुश्बू वाली इश्क़ की कहानी, इश्क़ की खुश्बू , जो हर मौसम आबाद रहेगी, महक उठेगी बारिश की बूंदों से जब पड़ेगी, इश्क़ की मिट्टी से पूरा गांव महक उठेगा, और करता रहेगा सदा के लिए इश्क़ सनम से । ~~~~मिन्टू
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।