प्रेम में जिया व्यक्तित्व कभी मरता नही वो समय के साथ-साथ होता जाता है गहरा गहरा समंदर सा नही बल्कि पृथ्वी के कोर सा गहरा कोर सा धधकता लाल नही बल्कि गंगा जल सा शुद्ध, पवित्र, ठंडा जिसका मन भी रहता है शांत,शिथिल । ©मिंटू/@tumharashahar
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।