सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मैं नही कर पाता हूँ

मैं कहता था न कि लड़कियां जितनी शिद्दत से गाना का चुनाव करती है प्रेम में रहकर मैं नही कर पाता हूँ  तभी तो मुझे ये लड़कियां पसंद है जो पहचान करा जाती है उस मधुर धुन की और सीखा जाती है जीना उन पलों को  जो भरी रहती है प्रेम से, ऐसा प्रेम जहां से वापस लौट आना नामुमकिन है मुमकिन है तो सिर्फ खुद को अकेला पाना, एकांत की तलाश में भटकते रहना अपने ही देश के शहर में, जंगल में, मन्दिर में,  आस-पास खोजता तालाब जहां फेक सके पत्थर जहाँ बढ़ा सकें सोच को  जहाँ धुन हो बांसुरी के, जहाँ चिड़िया गाती हो गाना.... और मचलते मन को मिले कुछ पल के लिए  सुकून, शांति, स्थिरता । ©मिन्टू/@tumharashahar 

अंधकार की ओर

यूँ ही कुछ अधूरा सा ---------------------------  गुरूर, गुमान, अहंकार, द्वेष, जलन,अज्ञानता  जैसी   ज्ञान जो अर्जित कर ले वो विनाश की ओर ही गया है शायद ये संकेत ज़िन्दगी हर किसी को देती है  किसी न किसी रूप में  अब बात है कि कितने लोग समझ पाते है.... जहाँ तक मेरी बात है मैं विनाश की ओर अग्रसर हूँ मेरे अंदर वो सारे गुण मौजूद है जो इशारा करती है कि आप कुछ भी नही है...और ये सच भी है "मैं कुछ भी नही "... मुझे जो आभास होता है, जो प्रतिबिंब दिखता है वो आज नही तो कल सत्य ज़रूर होता है और मेरा मानना है कि मैं अंधकार की ओर जा रहा हूँ जहां से वापस आना बहुत कठिन है शायद जिस दिन इंसान सच्चाई से रूबरू होगा उसे उस दिन असली आज़ादी मिलेगी, उसे खुशी मिलेगी अन्यथा जलन, झूठ, वाहवाही में ही वो रहकर अंधकार को स्वीकार कर खुद को कोसता हुआ एक दिन तड़प के साथ अकेले रहते रहते मिल जाएगा मिट्टी में । शायद मैं उसी राह पर हूँ । ©मिंटू/@tumharashahar