सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

tu mharashahar लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

काव्यांजलि

प्रेम चलते चलते कविता के पास आई, कविता उदास सी बैठी कहानी के पास गई हुआ कुछ यूं उन्हें पसंद न आई कोई गाना तो वो बच्चों संग रंग में रंग गयी तन से न थकी , पर मन से थक गई उसे मिला एक ख्याब जो हमेशा लिपटा रहता था चंदन के साथ और चंदन की गमक इतनी तेज उसके पास और भी लोग आये और हुई फिर एक काव्य की रचना जिसे हम काव्यांजलि के नाम से जानते है