बस यूं ही कुछ अधूरा सा ................................. कौन सी गहराई की तलाश में है ? कही नही जी, जहाँ कुछ नही वहाँ कुछ होना चाहिए ताकि लोगो को लगे कि व्यस्त है, कुछ कर रहा है वरना ताना-वाना में ज़िन्दगी तो गुजर- बसर हो ही रही है, अधपक्के ख्वाबो के बीच , मगर पता नही कब पकेगा ये ख़्वाब । बस यूं समझीये धीमी आंच पर पक रहे है , अब देख लीजिए इसी कहावत को "बूँद-बूँद से घड़ा भरता है" अब अपना ज़िन्दगी का घड़ा कब भरेगा ये तो भगवान जाने बाकी सफर चलता रहेगा, कुछ पुराने लोगो और नए रिश्तों के साथ , कुछ उतार-चढ़ाव तो कुछ सीख को लेकर , बाकी हुनर तो है अपने पास अब इसे कोयले से हीरा बनाना है थोड़ा समय लगेगा मगर बन जाएगा ।
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।