फल ------- लालिमा , ज़िन्दगी में वैसी ही आती है जैसे सूर्यउदय सूर्यास्त में आती है ठीक उसी प्रकार तुम्हारा आना मेरी ज़िंदगी मे लालिमा का काम कर जाता है मेरी ज़िंदगी मे तुम्हारा आना एक ऐसी क्रिया है जिससे मेरा संचालन हो रहा है या यूं कहूँ तुम मुझे अपने प्रकाश से वो सब चीज़ दे जाती हो जिस से एक वृक्ष को बढ़ने में मदद मिलती है। तुम देखना एक दिन मैं भी विशाल वृक्ष होकर तुम्हे छांव दूंगा लेकिन मैंने सुना है जो पौधे की सेवा करता है उसे कभी उस वृक्ष का फल, छांव नही मिलता है क्या ये बात सही है ? या तुम मेरे लिए उतने साल का लंबा इंतजार कर सकोगी जिससे मैं बड़े होकर तुम्हें छांव दे सकूँ ? ------------------------------------------------------------- ©मिन्टू/@tumharashahar Pic credit-google
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।