सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

indi kavita लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गाँव हो जाना

मेरे लिए तुम जितनी प्यारी और मासूम हो उतना ही मेरा लिए मेरा गाँव भी है तुम्हे देखना एक गाँव को देखने जैसा ही तो है या यूं कहूँ तुम्हारे अंदर पूरा गांव समाया हुआ है मुझे कभी कमी महसूस नही हुई गाँव की जब मैं तुम्हारे इर्द-गिर्द रहा हूँ  बस ये हुआ है कि मैं गले नही लगा पाया हूँ अबतक मगर उम्मीद है कि मैं तुम्हारे संग-संग रहकर एक दिन पूरा गांव हो जाऊंगा और  फिर हम दोनों के पीछे-पीछे ये शहर दौड़ा आएगा।  ये शहर ,  जो पहले कभी गाँव हुआ करता था और हम भागते रहते थे इसके पीछे-पीछे मगर वो तो तुम जानती ही हो जो चीज़ जहाँ से शुरू होती है वही आकर खत्म भी होती है। जैसे शून्य का सफर शून्य तक जन्म का सफर जन्म तक ठीक उसी तरह "गाँव का सफर गाँव तक " और इस तरह से तुमसे मिलकर मेरा गाँव हो जाना  एक बार फिर से दर्शा गया ये कथन...  देखो तुम गाँव ही रहना ताकि मैं तुम्हें तलाशते शहर से गाँव हो जाऊं।  ठीक है न....  ©मिंटू/@tumharashahar

प्रेम

आवारा मन,आवारा लड़का का कोई शहर नही होता कुछ धुन, छंद , अल्फ़ाज़ होते है इनके जिससे कर देते है साजो-श्रृंगार काल्पनिक रूप में स्त्रियों की और साक्षात दर्शन पाने पर हो जाते है मंत्रमुग्द , और साध लेते है चुप्पी बस एकटक निहारते रहते है । ©मिंटू/@tumharashahar