Pic- @pinterest पहला खत 6 अप्रैल 2021 झारखंड प्रान्त प्रिये, आज पहली बार तुम्हारे नाम का ख़त लिख रहा हूँ । इस से पहले भी बहुत कुछ लिखा है जब से तुम्हें देखा और महसूस किया है मैंने , परंतु ये खत इसलिए भी खास है कि तुम दूर किसी शहर में, किसी पवित्र नदी किनारे बसती हो जहां वास है देवी देवता का। मुझे पता है तुम किसी और के लिए बनी हो, तुम प्रेम से बहुत आगे निकल चुकी हो.. लेकिन क्या मैं आज भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ ? क्यों तुम्हारा ख़्याल भरपूर बना रहता है मेरे भीतर ? क्या तुम्हें नही लगता मेरा प्रेम आज के समय के अनुसार पर्याप्त है ? वैसे प्रेम पर्याप्त तो नही होता वो अनगिनत है जिसका कोई ओर-छोर नहीं। मैं अक्सर तुम्हारी तस्वीर देख बीते पलों और संवादों में खो जाता हूँ । मुझे हमेशा तुम्हारा खिड़की पर रहना और गुलाब भेजा याद आता है । पता नही मैं कैसे खुद को बना रहा या बर्बाद कर रहा इस आस में कि मेरा प्रेम तुम्हें एक दिन संवारते हुए मेरा कर देगा। माना कि दूरियां है बहुत लेकिन ये दूरियां मौन रहकर, सांसो की रफ्तार, उसके उतार-चढ़ाव से एहसास करवा जाएगा एक दिन तुम्हें मेरा तुम्हारे प्रति
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।