फिर तेरी याद आ गयी रात गुजरते-गुजरते, दिन ढल रही है जज़्बात संग चलते-चलते, मर्म इतना सा है तू रहती पास हफ्ते-हफ्ते, मैं करता रहता प्यार आहिस्ते-आहिस्ते, फिर तेरी याद आ गयी रात गुजरते-गुजरते ।। ----मिन्टू Pic- google से
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।