चस्का तेरा हो या फिर चाय का
नशा, दोनों में उतना ही है..
जब तुम नही होती तो
ये नशा चाय दे जाती
और जब चाय नही होती तो तुम ...
दोनों में वही मिठास
वही कड़कपन है
जितना वो खौलती
उतना तुम
दोनों का इश्क
कभी जब भी बेपनाह होता
थोड़ा तुम जलती
थोड़ा चाय जलता...
दोनों की आवारगी
क्या खूब लगती एक सोती हुई ख़ूबसूरत लगती
तो एक खौलते हुई...
दोनों को जब भी प्यार से पीने की कोशिश की
तो सब ठीक था
जैसे जल्दी में पीनी चाही
तो एक ने जीभ जलाई और एक ने कपड़े
नशा, दोनों में उतना ही है..
जब तुम नही होती तो
ये नशा चाय दे जाती
और जब चाय नही होती तो तुम ...
दोनों में वही मिठास
वही कड़कपन है
जितना वो खौलती
उतना तुम
दोनों का इश्क
कभी जब भी बेपनाह होता
थोड़ा तुम जलती
थोड़ा चाय जलता...
दोनों की आवारगी
क्या खूब लगती एक सोती हुई ख़ूबसूरत लगती
तो एक खौलते हुई...
दोनों को जब भी प्यार से पीने की कोशिश की
तो सब ठीक था
जैसे जल्दी में पीनी चाही
तो एक ने जीभ जलाई और एक ने कपड़े
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