सर पर बोझ
डुबोकर ख़्वाब
फटे एड़ियां,घिसकर चप्पल
लालन-पालन है ज़िन्दगी
बुन कर, सहेज कर तारीफ
एक गलती पर
बदनाम होना है ज़िन्दगी
थाम कर उंगली
बांध कर कलाई
विदा कर बिटिया
आँसू बहाना है ज़िन्दगी
इकट्ठा कर मेहनत को
पोटली में बांध
घर से धक्के खाना है ज़िन्दगी
भटकते राहों में
ठोकर खाकर
बिना बेटे/बेटियों के हाथों
अग्नि से प्यार होना है ज़िन्दगी ।
@tumharashahar
सूंदर मिंटू
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंVery nice mintu ji
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत खूबसूरती से भावो को शब्दों में उतारा है आपने..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंVery very good
जवाब देंहटाएंNice 🙂
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंThanku अंकित
हटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंShukriya
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