मैं उठता हूँ तेरे ख्यालो से तेरे सीख से तेरे चाय से मैं उठता हूँ तेरे संस्कार से तेरे आवाज़ से तेरे प्यार से मैं उठता हूँ अपने माँ से उसके त्याग से उसके बलिदान से
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।