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अच्छी चीजें कौन तय करेगा ?

  अच्छी चीजें जानकारी के अभाव में पीछे रह जाती है और उसे परखने की कला भी आपको घोर अपराध की ओर ले जाती है  इसलिए जो अच्छी चीजें मिलती है उसे ग्रहण कर लेना चाहिए उसे संजोए रखना चाहिए अगर उनसे प्रेम है, लगाव है तो खुद से जुदा नही होने देना चाहिए ... लेकिन ये कौन तय करेगा कि वो अच्छी है या बुरी ? समय या आप या फिर मैं खुद एक समय बीत जाने के बाद ? @tumharashahar0 Pic-@pinterest अच्छी चीजें कौन तय करेगा ?

क्या खुद को घिस कर कोई पापी हो सकता है ?

 Pic-@pinterest  क्या कोई खुद को घिस कर पापी हो सकता है ? तुमने नही देखा वो खेल जो तकदीर खेल रही तुम्हें दिखा सिर्फ प्यार भविष्य, खुद को समेट कर किसी पोटली में तुम बंध तो जाते थे लेकिन खुले कभी नही  गर कभी खुल भी सके तो खुलते-खुलते चमड़िया झूल गयी, हड्डियां दिखने लगी नही दिखा तो किसी को तुम्हारा संघर्ष लेकिन खुद को घिस कर तुमने  दुनिया को दिया नीलम, कोहिनूर जैसे अनमोल रत्न परन्तु उस पर भी सेंध लगायें गए जाति के नाम पर, तो कभी रंगों के नाम पर अंत मे तुम्हारे हाथ फिर से लगा वही उदासी, अकेलापन, घृणा, दोष  और राख  जो कभी प्रवाहित हो न  सकी गंगा में एक बार फिर तुम वंचित रह गए पवित्र होने से, वंचित रह गए तुम्हारे पाप धुलने से  लेकिन क्या खुद को घिस कर कोई पापी हो सकता है ? @tumharashahar0

फल

फल ------- लालिमा ,    ज़िन्दगी में वैसी ही आती है जैसे सूर्यउदय सूर्यास्त में आती है ठीक उसी प्रकार तुम्हारा आना मेरी ज़िंदगी मे लालिमा का काम कर जाता है    मेरी ज़िंदगी मे तुम्हारा आना एक ऐसी क्रिया है जिससे मेरा  संचालन  हो रहा है या यूं कहूँ तुम मुझे अपने प्रकाश से वो सब चीज़ दे जाती हो जिस से एक वृक्ष को बढ़ने में मदद मिलती है। तुम देखना एक दिन मैं भी विशाल वृक्ष होकर तुम्हे  छांव दूंगा  लेकिन मैंने सुना है    जो पौधे की सेवा करता है उसे कभी उस वृक्ष का फल, छांव नही मिलता है  क्या ये बात सही है ? या तुम मेरे लिए उतने साल का लंबा इंतजार कर सकोगी जिससे मैं बड़े होकर तुम्हें छांव दे सकूँ ? ------------------------------------------------------------- ©मिन्टू/@tumharashahar  Pic credit-google

Deepu-memsaab

पहला भाग ----------------------------- "मैमसाब नीचे उतरिए, नीचे चलिए,पाल टूट जाएगी खेत की तो पानी कैसे रुकेगा". 'ओफ्फो तुम्हें हर चीज़ से दिक्कत है, और भला ये मैमसाब क्यों बुलाते हो मुझे? मेरा इतना सुंदर नाम है। केवल इसलिए कि मैं शहर में रहती हूँ?' . "आप ही तो सिखाती हैं कि 'थैंक यु' के बाद 'योर वेलकम' और 'माय पेलज़र' बोलते हैं, तो हुई ना आप अध्यापिका, तो अध्यापिका को हम मैमसाब बुलाते हैं" . 'तुम और तुम्हारे तर्क, खिल्ली उड़ाने को करते हो बस, और 'प्लेज़र' होता है, पेलज़र नहीं......अरे बाप रे! दीपू, इतने सारे बेर वह भी इतने लाल, मुझे बेर बहुत पसंद है मुझे बेर खाने हैं' . . "अरे मैमसाब आराम से, काँटे हैं चुभ जाएँगे, पीछे हटिए, मैं तोड़ता हूँ" . 'अच्छा जी और तुम्हारे तो खैर से रिश्तेदार लगते हैं ये काँटे जो तुम्हें नहीं चुभेंगें, है न?' . . "हाँ बस यही समझ लीजिए, इन्होंने ही पाला है। अपना दुपट्टा फैलाओ, मैं तोड़-तोड़ कर डालता हूँ" . 'अंधे हो गए हो? मैंने जीन्स पहना है&#

प्रेम पत्र

प्यार के नाम एक खत ________________________ वैसे ये प्रेम , इश्क़, प्यार  इन शब्दों से आप तो परिचित है ही सबका एक ही मतलब होता है समर्पण,त्याग,भक्ति, आत्मा का मिलन।  "हम जब भी बात करते है प्रेम की तो समर्पण, त्याग तक ही सीमित नही रहते अपितु भक्ति से ऊपर उठ परमात्मा और आत्मा का मिलन तक जाकर ठहर जाते है जो आज के समय मे मुश्किल है ।"  खैर मेरा प्यार अभी तो आत्मा या परमात्मा तक नही पहुंचा है और न कभी पहुंचेगा , अब इसका क्या कारण है ये जब आप स्वयं के अंदर झाँक कर देखेंगे तो महसूस हो जाएगा क्यों कि हम सब एक ही मिट्टी से बने है , एक ही तन, एक ही मन है और एक ही राह से गुज़रते है  परंतु किन्ही की थोड़ी मिलती, किन्ही की ज्यादा मिलती या किन्ही की देर से मिलती है । वैसे मैं उस से मिला तो नही हूँ या यूं कहूँ मैं मिल भी लिया हूँ लेकिन जो भी हो एहसास जबतक जीवित है  मेरा प्रेम सदैव जीवित ही रहेगा। इस प्रेम में मैंने लेखन को लिखना सिख रहा हूँ ।।  मुझे यकीन है मेरा प्रेम तुमतक पहुँचे  मैं चाहता हूं भले हम मिले या न मिले एक हो या न हो परंतु तुम मुझे पढ़ते रहना, मुझे समझते रहना उसमे खोते जाना तुम ।

भोजपुरी- एक मिठास

(कुछ भी लिखने से पहले बता दूँ आपको  मैं जो भी लिखने जा रहा हूँ वो विकिपीडिया की सहायता से और अपने आस-पास के माहौल को देखते, सुनते हुए लिख रहा हूँ । इसमे बहुत सारे चीज़े ऐसे भी आएंगे जो कही न कही किसी न किसी रूप में कोई न कोई लिखा ही होगा फिर भी मेरी एक छोटी से कोशिश है।) भोजपुरी- एक मिठास ________________ एक मीठी आस में एक मिट्टी की प्यास में लिख रहा हूँ माँ को  जो असम्भव है। मातृभाषा सबके के लिए सबसे पहले अपनी क्षेत्रीय भाषा ही आती है उसके बाद हिंदी है जहाँ तक मैंने देखा है।  भोजपुरी नामकरण- बिहार में एक जगह है "भोजपुर" उसी के नाम पर इसका नामकण हुआ है जिसको राजा भोज ने बसाया था । (वैसे ये सब जानकारी आपको विकिपीडिया पर उपलब्ध है) विशेष- भोजपुरी एक ऐसी भाषा है जिसमें एक अलग मिठास है, अलग रस है  या यूं कहूँ इसके बोलने सुनने से मन तृप्त हो जाता है । आप अगर बच्चे के मुख से सुनेंगे इसे तो उसका रस चौगुना बढ़ जाता है और आप ललायित हो जाएगें इसे बोलने ,समझने, सीखने के लिए । इसमे एक अलग किस्म का जादू है जो नशों में रक्त का संचार बढ़ा देता है , एक अलग

मुझे नही पता मैं ....

मुझे नही पता मैं क्या हूँ लेकिन यकीन मानो मैं पूरा का पूरा गांव हूँ, मैं कितने भी डिग्री ले लूं मगर मैं रहूँगा देशी ही, मिट्टी का ही शायद तुम मुझे अनपढ़,गंवार समझ लो भला-बुरा कह लो मगर यकीन मानो मैं गाँव ही रहूँगा और रहना चाहूंगा मुझे नही चाहिए ये टाइल्स वाली, दिखावटी दुनिया मुझे तो मेरी मिट्टी पसंद है, बारिश की बूंदों के बाद का सौंधी खुश्बू, शुद्ध हवा, पवित्र पावन जल, संस्कृति,प्यार,सम्मान यकीन मानो तुम सब भी एक दिन इसी गांव की पगडंडियों को चुनोगे अपने आने वाले पीढ़ी को बताओगे इस "मिट्टी की मातृत्व" को मेरा यकीन मानो तुम सब एक दिन शहर से हो जाओगे गाँव । ©मिन्टू/@tumharashahar