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संदेश

माँ

माँ- क्या मां वही है जिसने जन्म दिया ? या इस धरती की हर माँ, सबके लिए माँ है ? या यूं कहूँ जिसने अपने ऊपर पूरा संसार का भार ले रखा है वो माँ है माँ की कोई परिभाषा है क्या ? क्या मां किसी एक तक सीमित है ? माँ का प्यार अनन्त है क्या मां के पास  कोई दूर दृष्टि होती है जिस से वो आने वाले समय तक को भी देख लेती है? क्या माँ के चरणों की धूल तुम लगाते आए हो अपने माथे पर? क्या तुमनें उसे कभी लाड किया ? क्या तुमने कभी उसे डांट दिया है गुस्से में? क्या है तुम्हारे लिए , तुम्हारे जीवन मे एक माँ का महत्व ? क्या माँ वही है जिसने जन्म दिया या वो भी है जिसने पूरा भार सम्भाल रखा है इस संसार का ? ©मिन्टू/@tumharashahar

ऐसा क्यों लगता है ?

जीवन का सम्पूर्ण रस, ज्ञान इसमे ही निहित है बस एक नज़र जो देख ले तो ऐसे पागल हो जाते है जैसे कोई ख़ोया चीज़ मिल गया हो.. लेकिन ये गलत है, बेमानी है मगर क्या इसके बिना कोई रह पाया है प्रेम के बिना, स्त्री के बिना ? नही न... तभी तो ये सब मोह माया है, बंधन है , जाल है, यहाँ से चल चलो कही दूर जहाँ पहाड़ हो, झरने हो, तलाब हो, पेड़-पौधे हो, जहाँ हम अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके कंकड़ मार कर उस तालाब में, बात कर सके पेड़ो से, झरनों से तुम्हे क्या लगता है ?  ©मिन्टू/@tumharashahar

मैं नही कर पाता हूँ

मैं कहता था न कि लड़कियां जितनी शिद्दत से गाना का चुनाव करती है प्रेम में रहकर मैं नही कर पाता हूँ  तभी तो मुझे ये लड़कियां पसंद है जो पहचान करा जाती है उस मधुर धुन की और सीखा जाती है जीना उन पलों को  जो भरी रहती है प्रेम से, ऐसा प्रेम जहां से वापस लौट आना नामुमकिन है मुमकिन है तो सिर्फ खुद को अकेला पाना, एकांत की तलाश में भटकते रहना अपने ही देश के शहर में, जंगल में, मन्दिर में,  आस-पास खोजता तालाब जहां फेक सके पत्थर जहाँ बढ़ा सकें सोच को  जहाँ धुन हो बांसुरी के, जहाँ चिड़िया गाती हो गाना.... और मचलते मन को मिले कुछ पल के लिए  सुकून, शांति, स्थिरता । ©मिन्टू/@tumharashahar 

अंधकार की ओर

यूँ ही कुछ अधूरा सा ---------------------------  गुरूर, गुमान, अहंकार, द्वेष, जलन,अज्ञानता  जैसी   ज्ञान जो अर्जित कर ले वो विनाश की ओर ही गया है शायद ये संकेत ज़िन्दगी हर किसी को देती है  किसी न किसी रूप में  अब बात है कि कितने लोग समझ पाते है.... जहाँ तक मेरी बात है मैं विनाश की ओर अग्रसर हूँ मेरे अंदर वो सारे गुण मौजूद है जो इशारा करती है कि आप कुछ भी नही है...और ये सच भी है "मैं कुछ भी नही "... मुझे जो आभास होता है, जो प्रतिबिंब दिखता है वो आज नही तो कल सत्य ज़रूर होता है और मेरा मानना है कि मैं अंधकार की ओर जा रहा हूँ जहां से वापस आना बहुत कठिन है शायद जिस दिन इंसान सच्चाई से रूबरू होगा उसे उस दिन असली आज़ादी मिलेगी, उसे खुशी मिलेगी अन्यथा जलन, झूठ, वाहवाही में ही वो रहकर अंधकार को स्वीकार कर खुद को कोसता हुआ एक दिन तड़प के साथ अकेले रहते रहते मिल जाएगा मिट्टी में । शायद मैं उसी राह पर हूँ । ©मिंटू/@tumharashahar

प्रेम में जीया

प्रेम में जिया व्यक्तित्व कभी मरता नही वो समय के साथ-साथ होता जाता है गहरा गहरा समंदर सा नही बल्कि पृथ्वी के कोर सा गहरा कोर सा धधकता लाल नही बल्कि गंगा जल सा शुद्ध, पवित्र, ठंडा जिसका मन भी रहता है शांत,शिथिल । ©मिंटू/@tumharashahar

ये मुस्कान देख रहे हो

ये मुस्कान देख रहे हो  कितनी प्यारी है है न लेकिन ये मुस्कान ही प्यारी है  बाकी दर्द बहुत है इसके पीछे क्या तुम्हें दिख रहा है वो दर्द ? ये आंखे देख रहे हो  कितनी सुंदर है है न लेकिन ये आंखे ही सुंदर है बाकी आंखों के पीछे छूपे है आंसू  क्या तुम्हें दिख रहा है वो दर्द ? कितना कुछ बदल जाता है ज़िन्दगी में जब छायादार वृक्ष न हो तो है न न कोई सुनने वाला, न कोई समझने वाला बस थोप दिए जाते है ज़िन्दगी में कुछ काम, कुछ हिस्से  जिसके हक़दार हो भी और न भी पता नही ज़िन्दगी मेरी क्या रंग लाएगी न जाने कहाँ ले जाएगी, किस मोड़ पर लोग पूछेंगे और न जाने किस मोड़ पर ठुकराएँगे दर्द है , देखो कौन-कौन साथ है और कौन-कौन नही वक़्त, सब्र सब सफल हो रहे असफल हो रहा तो बस अकेला ये मन चंचल मन जो कभी रहा ही नही बस में हमेशा किया अलग ही और जो भी किया  वो गलत ही रहा और ये गलत अक्सर गुजर जाने के बाद ही पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । ©मिंटू/@tumharashahar

मुस्कान देखोगे

मुस्कान देखोगे अरे जाओ भी पहले इसके पीछे झाँक कर तो आओ.... चाल देखोगे अरे जाओ भी पहले कदम तो मिलाओ तुम कोई खुदा हो अरे जाओ भी विश्वास जगाकर तो लाओ तुम शायर हो अरे जाओ भी अल्फ़ाज़, छंद तो उठा लाओ अरे, क्या बोला तुम बेरोजगार हो अरे जाओ भी सबके चेहरे पर मुस्कान तो लाते हो इस से बड़ा और क्या चाहिए तुम्हें ..... ©मिंटू/@tumharashahar