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संदेश

बस यूं ही कुछ अधूरा सा

बस यूं ही कुछ अधूरा सा ................................. कौन सी गहराई की तलाश में है ? कही नही जी,  जहाँ कुछ नही वहाँ कुछ होना चाहिए ताकि लोगो को लगे कि व्यस्त है, कुछ कर रहा है वरना ताना-वाना में ज़िन्दगी तो गुजर- बसर हो ही रही है, अधपक्के ख्वाबो के बीच , मगर पता नही कब पकेगा ये ख़्वाब । बस यूं समझीये     धीमी आंच पर  पक रहे है , अब देख लीजिए इसी कहावत को "बूँद-बूँद से घड़ा भरता है"  अब अपना ज़िन्दगी का घड़ा कब भरेगा ये तो भगवान जाने बाकी सफर चलता रहेगा, कुछ पुराने लोगो और नए रिश्तों के साथ , कुछ उतार-चढ़ाव तो कुछ सीख को लेकर , बाकी हुनर तो है अपने पास अब इसे कोयले से हीरा बनाना है थोड़ा समय लगेगा मगर बन जाएगा ।

प्रेम

जिनके अंदर इतना प्रेम हो, भला वो दूर क्यों रहेगी प्रेम से ? आहिस्ता-आहिस्ता प्रेम में पड़ कर वो खुद को और मजबूत करेगी, बस इतना ही नही वो तो उस रात सजायगी खुद को डूबती जायगी ख्वाबो में एक सुबह के इंतजार में ताकि उसे एहसास हो प्रेम के उस अंतिम छोर का जो निसन्देह बहुत खूबसूरत होगा उस लालिमा की छांव में और गाढ़ा होता जायेगा उसका प्रेम । ©मिंटू/@tumharashahar

इंतजार

वो जानती है कि मैं पढ़ लेता हूँ उसका मन मगर फिर भी वो मेरी बात रखने के लिए अपनी बात को रख देती है उसी मेज़ पर जहाँ वो रखा करती है किताब और करती रहती है मेरा इंतजार उस ठंड वाली रात में मैं उसको उसकी बात समझकर सो जाता हूँ उसी रात जिस रात वो करना चाहती है बेइंतेहा इश्क़, कहना चाहती है बहुत कुछ मेरे बाहों में आकर, वो बताना चाहती है कि मुझे तुमसे बहुत प्यार है मगर कह नही पाती बस हमेशा की तरह "इंतजार" से जता देती है वो अपना निश्छल प्रेम अपना निस्वार्थ प्रेम ।

सुनहरे बालो वाली

वो सुनहरे लंबे बालों वाली लड़की, लंबी कद काठी की , गोरी सी बहुत ही मासूम दिखने वाली, शरारती लड़कीं, वो मेरी किताबो वाली लड़की, बहुत प्यार से दबाए रखती है दिल मे जज़्बात, और उसे जब गढ़ती है पन्नो पर तो मानो जैसे सच मे वो एक एहसास उतार देती , न जाने कितने लोग आह- वाह की सौगात लिए पहुंच जाते है उसके द्वार, वो किसी को न नही कहती सबको अपना समझती अल्फाज़ो जैसा और उसके लिए दिल मे एक अलग सा सम्मान झलकता है, वो जैसी भी है जिस धरती की है,जहाँ से भी आई है सच मानो वो बहुत ही खूबसूरत है सूरत से भी और सिरत से भी,  उसका नाम जो भी हो पर मैं उसे प्यार से  कहता वो मेरी किताबो वाली लड़की है, उसके ख़्वाब हज़ार है मन मे मगर वो कुछ करना एक चाहती है या कभी-कभी वो सब करना चाहती है जिससे उसे वो मकाम मिले, वो खुलकर जीना चाहती है ठीक उसी तितली की तरह और लिपट जाना चाहती है किसी मद्म से, और छोड़ जाना चाहती है अपनी एक अलग पहचान, वो जो भी है, जैसी भी है वो मेरी किताबो वाली लड़की है । वो लिखना तो चाहती है, वो पढना भी चाहती है मगर उसे खुद नही पता कि वो एक खुद किताब है, वो खुद एक नायाब तोहफा है किस

कोई बात हो

यूँ नज़रों का मिल जाना एक गुनाह है तो ये गुनाह हो जाए तो कोई बात हो आकर पास मेरे तुम बैठ जाओ कर जाओ तुम दिल को घर , तो कोई बात हो, तुम करती रहना ये साज-सज्जा नखरे-वखरे जो पहली मुलाकात हो तो कोई बात हो, ठहर जाना तुम उस घर जो सजा पाओ  ज़िन्दगी में तो कोई बात हो, मिलेंगी वो खुशियां-वूशिया जहाँ सजन से दिन-रात  मुलाकात  हो तो कोई बात हो, लगा लेना अपने सपनो में पंख हौसलों के समझ जाओ तुम ये बतिया तो कोई बात हो यूँ ही कट  जाएगी ज़िन्दगी पाकर सजन जैसा सखियां जो तुम पास आकर रुक जाओ तो कोई बात हो... यूँ नज़रों का मिल जाना एक गुनाह है तो ये गुनाह हो जाए तो कोई बात हो.....

लड़कियां जब होती है प्यार में

लड़कियां , मोह्बत में बैठी रहती है नदी किनारे, करती रहती है गुफ्तगू खुद से जब भी चलता रहता उनके मन मे उथल-पुथल कुछ दांतो तले दबा लेती है उंगलियां, कुछ कहती है नदी की धारा से तो कुछ कहती है वहां के वातावरण से फिर कुछ पल संभाल लेती है वहां की मन मे गढ़ती रहती है असीमित प्रेम अपने प्रिये के लिए मंद-मंद मुस्कुराती है लड़कियां ।

गुलाब नही उसका मन है

 जब कोई लड़कीं किसी को देती है गुलाब तो वो सिर्फ गुलाब नही देती है वो देती है  अपना सबसे अजीज चीज वो देती है अपना मन, वो देती है अपना सुख, दुख अपना जीवन वो कर देती है समर्पण खुद को ताकि उसे वो सजा सके, सँवार सके रख सके उसे सहेज कर वो करती है हर रात उसका इंतजार  ताकि वो कर सके कुछ गुफ्तगू  वो बता सके कि मैं क्या हूँ वो कर देती है अपना सब कुछ निछावार अपना एक ख़्वाब के लिए वो हो जाती है उस समय के लिए  या यूं कहुँ वो हो जाती है पूरा का पूरा अपने महबूब का वो निकाल कर रख देती है सबकुछ उसके सामने ताकि वो लिख सके एक नया इतिहास ज़िन्दगी का ।