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संदेश

बेवजह

  किसी का हाल पूछ लेना बेवजह सुकून तो नही दे सकता लेकिन उसकी परेशानी बढ़ा सकता है नज़र बन्द करके रखना ये शहर तुम्हें डूबा सकता है कमरे के अंदर कैद है तो क्या हुआ एक मुस्कान किसी की जान बना सकता है न चाहते हुए भी हम आए तेरे शहर शहर डूबा सकता है पके है सब यहां ज़िन्दगी की कड़वी धूप में हर कोई जला सकता है नजदीकियां बढ़ाने से पहले भांप लेते है वो समय आने पर दूरियां बना सकता है नज़रबंद करके रखो खुद को अजनबी बिना जाने हाल बता सकता है किसी का हाल पूछ लेंना बेवजह सुकून तो नहीं दे सकता लेकिन उसकी परेशानी बढ़ा सकता है । @tumharashahar

उम्र से मंझे धागे

 Pic-@pinterest  चश्मे का नंबर बढ़ गया सुई में धागे नहीं लग रहे हाथ अब कांपते और  पैर थरथराते पत्नी  साथ  देती मगर बहुएं साथ नही देती बस एक वक्त की रोटी दो वक्त की ताने दे दिया करती है मैं जैसे-जैसे तजुर्बा में लीन होता गया मेरी सिलाई मशीन में जंग लगने लगे रिश्तेदारों का आना बंद हो गया अब घर पर बस मेरी दवा आती है वो भी अपने समय से एक सप्ताह देरी से क्योंकि डाक खाना का पोस्ट मास्टर  अब समय पर नही दे जाता दवा वो भी बुढ़ा हो चला है  वो जब भी आता  हमलोग पेड़ के  नीचे बैठ  घंटों बात करते है बात करते-करते कब  वो और मैं एक पहिये  हो जाते है  पता ही नही चलता....

गर्भ में

 Pic-@pinterest  मैं पृथ्वी हूँ मेरे कोर में समाया है गुस्से के रूप में ज्वालामुखी मेरे कोख में पल रहा है हरयाली जो आने वाले समय में देगा "कोहिनूर" सा फल एक स्त्री के रूप में जिसको हर पड़ाव पर  लांघा जाएगा किसी पुरुष, महिला या किसी सरकारी तंत्र के योजना के तहत  तब मैं लड़ते रहूंगी छुईमुई की तरह  ढोंगी समाज से, अपने परिजन से अपने पति से.. पति वो जिसको हमने माना है  "परमेश्वर " लेकिन क्या परमेश्वर से लड़कर मैं  पाप का भागीदार बन सकती हूँ ? शायद "हां" परंतु ध्यान रहें समय और धैर्य के आगे  अपने बचाव के लिए किया गया कार्य पाप नही होता वो अलगाव और बचाओ का एक जरिया है जिसपर पैर रख मैं स्वर्गलोक तक पहुंच पाऊँगी । @tumharashahar0

पाती

 Pic- @pinterest  पहला खत 6 अप्रैल 2021 झारखंड प्रान्त   प्रिये,    आज पहली बार तुम्हारे नाम का ख़त लिख रहा हूँ । इस से पहले भी बहुत कुछ लिखा है जब से तुम्हें देखा और महसूस किया है मैंने , परंतु ये खत इसलिए भी खास है कि तुम दूर किसी शहर में, किसी पवित्र नदी किनारे बसती हो जहां वास है देवी देवता का।    मुझे पता है तुम किसी और के लिए बनी हो, तुम प्रेम से बहुत आगे निकल चुकी हो.. लेकिन क्या मैं आज भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ ? क्यों तुम्हारा ख़्याल  भरपूर बना रहता है मेरे भीतर ? क्या तुम्हें नही लगता मेरा प्रेम आज के समय के अनुसार  पर्याप्त है ?  वैसे प्रेम पर्याप्त तो नही होता वो अनगिनत है जिसका कोई ओर-छोर नहीं।  मैं अक्सर तुम्हारी तस्वीर देख  बीते पलों और संवादों में खो जाता हूँ । मुझे हमेशा तुम्हारा खिड़की पर रहना और गुलाब भेजा याद आता है । पता नही मैं कैसे खुद को बना रहा या बर्बाद कर रहा इस आस में कि मेरा प्रेम तुम्हें एक दिन संवारते हुए मेरा कर देगा।  माना कि दूरियां है बहुत  लेकिन ये दूरियां मौन रहकर, सांसो की रफ्तार, उसके उतार-चढ़ाव से एहसास करवा जाएगा एक दिन तुम्हें मेरा तुम्हारे प्रति

देवालय

 Pic-self click किसान की मेहनत, पसीने से सींचे  मिट्टी से बने, कलाकृतियों से सजे देवालय सा घर  जिसमें वास करती है देवी-देवता जिसे चढ़ता है पूंडरी जलते है दीपक  रात के समय चाँद की उपस्थिति में आँगन होती रौशन... बटोरने खुशियां  कभी लौट आना शहरों से तुम उस गाँव की तरफ जहां वास करती है आज भी संस्कृति, पवित्रता, अध्यात्म निश्च्छल प्रेम घर आँगन में । @tumharashahar0

रातें वीरान है !

 चलती बस, सुनसान सड़कें, हवाओं से बातें करता मेरा शरीर और मन पल में उमड़ते ख्याल, दिखते हालात लोगों के फागुन के धुन मन को करते तृप्त  वही बीच-बीच मे दस्तक देते क़ई सवाल आखिर ये सड़क जाती कहाँ है जिधर मैं जा रहा हूँ उधर या सड़क जिधर जा रही उधर जा रहा हूँ मैं ? क्या ज़िन्दगी वीरान रातें लेकर गुज़ारी जा सकती है ? पनपते खंडहर पर पौधें, रिसते पानी  रातें वीरान है ! ढहता ईंट, खुद का मिटाता अस्तित्व आखिर इशारा किस ओर है समय का  क्या चाहता है ये समय मुझसे, तुमसे धरती पर रह रहे सभी जीव-जंतुओं से ? क्या इसका जवाब है किसी के पास ? क्या हर सवाल का जवाब है ? आखिर है तो किसके पास....

मेरा देह मिट्टी है

मेरा देह मिट्टी है मेरा देह, मिट्टी है  यहां की सरकार कुदाल, फावड़ा ,खुरपी , ट्रेक्टर  हर बार नई फसल की रोपाई, कटाई के बीच फायदे नुकसान का सौदा तय करती है  मैं जब त्रस्त ,सुखाड़ से हो जाता हूँ तो बस आसमान ही ओर देखता रह जाता हूँ अपने नग्न आंखों से, न तो आँसू गिरते है, न दाँते चियारता हूँ बस इंतज़ार में रहता हूँ कि मेरी हालात देख  आसमां कब रोयेगा । क्या आपके लिए भी कोई रोया है जब आप सुखाड़ से त्रस्त हो तब ? @tumharashahar0 Pic credit- @pinterest