फिर तेरी याद किचन में, मैं और तुम्हारी याद सफर कर रही थी सफर करते करते पहुंच गए थे किसी सड़क किनारे जहां किसी ढाबा पर गाने की धुन सुनाई दी "देखा है पहली बार साजन मूवी की" फिर क्या था हम दोनो एक दूसरे को देखते हुए हंस पड़े और निकल पड़े अपने अपने रास्ते रास्तों का क्या है वो कभी खत्म कहां होती है एक बार शुरू हो जाने के बाद चलती रहती है बस एक ही धुन और याद थे साथ बाकी सब फिजूल की बातें बातें वो भी थी जो बेवजह रही जितने गड्ढे में छुपाए थे सब एक एक करके बाहर निकलती रही और मेरे कदम पड़ते रहे उन गड्ढे में एक बार फिर मै फंस गए था तुम्हारे बनाए जाल में... @ram_chourasia_ Pic credit @anuradha_poddar
अपवर्तन
दिखाई दिए भी तो ऐसे जैसे चांद हो गए, चले भी गए तो ऐसे जैसे मरीचिका हो गए।